Friday, July 15, 2016

Hari OM

समस्त चराचर जगत आकाश तत्व के अंतर्गत है। वही आकाश जिसे असीम, अविनाशी व अनंत भी कहा जाता है। ईश्वर को भी तो हम इन्ही शब्दों से परिभाषित करने की कोशिश करते हैं। कृष्ण ने यानि की ईश्वर ने गीता में सभी का निवास स्थान अपने में बताया है।
आकाश तत्व में,से हम भीगे हुए हैं, घिरे हुए हैं और हम उसी में है। बाहर भी वही भीतर भी वही, चहुँ ओर वही। उसे जो नाम दे दें। नाम भी वही, अनाम भी वही। हरी ओम।

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