Saturday, September 10, 2016

*(((((((((( नाम का आश्रय ))))))))))*
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*🏡वृंदावन की एक गोपी रोज दूध दही बेचने मथुरा जाती थी,*

*👳एक दिन व्रज में एक संत आये, गोपी भी कथा सुनने गई,*

*👳संत कथा में कह रहे थे, भगवान के नाम की बड़ी महिमा है, नाम से बड़े बड़े संकट भी टल जाते है.*

*🚣नाम तो भव सागर से तारने वाला है,*
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*🚣यदि भव सागर से पार होना है तो भगवान का नाम कभी मत छोडना.*

*📚कथा समाप्त हुई गोपी अगले दिन फिर दूध दही बेचने चली,*
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*🚣बीच में यमुना जी थी. गोपी को संत की बात याद आई, संत ने कहा था भगवान का नाम तो भवसागर से पार लगाने वाला है,*

*🚣जिस भगवान का नाम भवसागर से पार लगा सकता है तो क्या उन्ही भगवान का नाम मुझे इस साधारण सी नदी से पार नहीं लगा सकता ?*🤔
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*👰ऐसा सोचकर गोपी ने मन में भगवान के नाम का आश्रय लिया भोली भाली गोपी यमुना जी की ओर आगे बढ़ गई.*

*🚣अब जैसे ही यमुना जी में पैर रखा तो लगा मानो जमीन पर चल रही है और ऐसे ही सारी नदी पार कर गई,*

*🚣पार पहुँचकर बड़ी प्रसन्न हुई, और मन में सोचने लगी कि संत ने तो ये तो बड़ा अच्छा तरीका बताया पार जाने का,*

*🚣रोज-रोज नाविक को भी पैसे नहीं देने पड़ेगे.*

*🤔एक दिन गोपी ने सोचा कि संत ने मेरा इतना भला किया मुझे उन्हें खाने पर बुलाना चाहिये,*
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*👰अगले दिन गोपी जब दही बेचने गई, तब संत से घर में भोजन करने को कहा संत तैयार हो गए,*
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*🚣अब बीच में फिर यमुना नदी आई.*
*👳संत नाविक को बुलने लगा तो गोपी बोली बाबा नाविक को क्यों बुला रहे है. हम ऐसे ही यमुना जी में चलेगे.*
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*👳संत बोले - गोपी ! कैसी बात करती हो, यमुना जी को ऐसे ही कैसे पार करेगे ?*
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*👰गोपी बोली - बाबा ! आप ने ही तो रास्ता बताया था, आपने कथा में कहा था कि भगवान के नाम का आश्रय लेकर भवसागर से पार हो सकते है.*

*🤔तो मैंने सोचा जब भव सागर से पार हो सकते है तो यमुना जी से पार क्यों नहीं हो सकते ?*
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*👰और मै ऐसा ही करने लगी, इसलिए मुझे अब नाव की जरुरत नहीं पड़ती.*
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*👳संत को विश्वास नहीं हुआ बोले - गोपी तू ही पहले चल ! मै तुम्हारे पीछे पीछे आता हूँ,*
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*👰गोपी ने भगवान के नाम का आश्रय लिया और जिस प्रकार रोज जाती थी वैसे ही यमुना जी को पार कर गई.*
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*👳अब जैसे ही संत ने यमुना जी में पैर रखा तो झपाक से पानी में गिर गए, संत को बड़ा आश्चर्य,*
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*👰अब गोपी ने जब देखा तो कि संत तो पानी में गिर गए है तब गोपी वापस आई है और संत का हाथ पकड़कर जब चली तो संत भी गोपी की भांति ही ऐसे चले जैसे जमीन पर चल रहे हो*

*👳संत तो गोपी के चरणों में गिर पड़े, और बोले - कि गोपी तू धन्य है !*
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*📿वास्तव में तो सही अर्थो में नाम का आश्रय तो तुमने लिया है और मै जिसने नाम की महिमा बताई तो सही पर स्वयं नाम का आश्रय नहीं लिया..*

*👬👫 सच मे भक्त मित्रो हम भगवान नाम का जप एंव आश्रय तो लेते है पर भगवान नाम मे पूर्ण विश्वाव एंव श्राद्ध नही होने से हम इसका पूर्ण लाभ प्राप्त नही कर पाते..*
*📚शास्त्र बताते है कि भगवान श्री कृष्ण का एक नाम इतने पापो को मिटा सकता है जितना कि एक पापी व्यक्ति कभी कर भी नही सकता..*
*🙏अतएव भगवान नाम पे पूर्ण श्राद्ध एंव विश्वास रखकर ह्रदय के अंतकरण से भाव विहल होकर जैसे एक छोटा बालक अपनी माँ के लिए बिलखता है ..उसी भाव से सदैव नाम प्रभु का सुमिरन एंव जप करे*

*🚣कलियुग केवल नाम अधारा !*
*सुमिर सुमिर नर उताराहि ही पारा!!*

*📿हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !*
*📿हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे !!*
📿📿📿📿📿📿📿📿📿📿📿

Wednesday, September 7, 2016

*समोसे की दुकान*
एक बडी कंपनी के गेट के सामने एक प्रसिद्ध समोसे की दुकान थी.
लंच टाइम मे अक्सर कंपनी के कर्मचारी वहा आकर समोसे खाया करते थे.
एक दिन कंपनी के एक मॅनेजर समोसे खाते खा
ते समोसेवाले से मजाक के मूड मे आ गये.
मॅनेजर साहब ने समोसेवाले से कहा, "यार गोपाल, तुम्हारी दुकान तुमने बहुत अच्छेसे मेंटेन की है. लेकीन क्या तुम्हे नही लगता के तुम अपना समय और टॅलेंट समोसे बेचकर बर्बाद कर रहे हो.? सोचो अगर तुम मेरी तरह इस कंपनी मे काम कर रहे होते तो आज कहा होते.. हो सकता है शायद तुम भी आज मॅनेजर होते मेरी तरह.."
इस बात पर समोसेवाले गोपाल ने बडा सोचा. और बोला, " सर ये मेरा काम अापके काम से कही बेहतर है. 10 साल पहले जब मै टोकरी मे समोसे बेचता था तभी आपकी जाॅब लगी थी. तब मै महीना हजार रुपये कमाता था और आपकी पगार थी १० हजार.
इन 10 सालो मे हम दोनो ने खूब मेहनत की..
आप सुपरवाइजर से मॅनेजर बन गये.
और मै टोकरी से इस प्रसिद्ध दुकान तक पहुच गया.
आज आप महीना ५०,००० कमाते है
और मै महीना २,००,०००
लेकीन इस बात के लिए मै मेरे काम को आपके काम से बेहतर नही कह रहा हूँ.
ये तो मै बच्चो के कारण कह रहा हूँ.
जरा सोचिए सर मैने तो बहुत कम कमाइ पर धंदा शुरू किया था. मगर मेरे बेटे को यह सब नही झेलना पडेगा.
मेरी दुकान मेरे बेटे को मिलेगी. मैने जिंदगी मे जो मेहनत की है, वो उसका लाभ मेरे बच्चे उठाएंगे.
जबकी आपकी जिंदगी भर की मेहनत का लाभ आपके मालिक के बच्चे उठाएंगे..
अब आपके बेटे को आप डिरेक्टली अपनी पोस्ट पर तो नही बिठा सकते ना..
उसे भी आपकी ही तरह झीरो से शुरूआत करनी पडेगी.. और अपने कार्यकाल के अंत मे वही पहुच जाएगा जहा अभी आप हो.
जबकी मेरा बेटा बिजनेस को यहा से और आगे ले जाएगा..
और अपने कार्यकाल मे हम सबसे बहुत आगे निकल जाएगा..
अब आप ही बताइये किसका समय और टॅलेंट बर्बाद हो रहा है? "
मॅनेजर साहब ने समोसेवाले को २ समोसे के २० रुपये दिये और बिना कुछ बोले वहा से खिसक लिये......................... 🙏🌹जरूर पढ़े 🌹🙏